जीएसटी कॉउन्सिल द्वारा यदि एमआरपी लगे हुए माल बेचने की तारीख को यदि 30 सितम्बर से आगे नहीं बढ़ाया गया तो देश में लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का एमआरपी लगा हुआ जीएसटी से पहले का माल आगे बेचा नहीं जा सकेगा इस सम्बन्ध में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से आग्रह किया है की वर्तमान हालातों को देखते हुए इस तारीख को 31 मार्च 2018 तक बढ़ाया जाए।
जीएसटी लागू करते समय यह प्रावधान किया गया था कि 30 जून 2017 को जो भी माल जिस पर एमआरपी लगाना अनिवार्य है, वह माल संशोधित एमआरपी के स्टीकर लगा कर 30 सितम्बर ,2017 तक ही बेचा जा सकेगा। पैकेजिंग कमोडिटी एक्ट के अंतर्गत यह प्रावधान हैकी जो भी माल पैकेज में बेचा जायेगा उस पर अनिवार्य रूप से एमआरपी छपी होनी चाहिए।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की एक अनुमान के अनुसार अभी भी देश भर में 30 जून से पहले का लगभग 9 लाख करोड़ रुपये का माल बाजार में है जिसमें से लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का माल पैकेज में है जिस पर एमआरपी का स्टीकर लगा हुआ है यदि इस माल को बेचने की अंतिम तारीख 30 सितम्बर से आगे नहीं बढ़ायी जाती है तो 1 अक्टूबर से यह माल बाजार में नहीं बिक सकेगा।
यदि इतनी बड़ी मात्रा में माल सप्लाई चेन से बाहर होता है तो इसका निश्चित रूप से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर विपरीत असर पड़ेगा और दूसरी ओर अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा तथा रोज़मर्रा की वस्तुओं की किल्लत की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे हालातों में कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है की इस तारीख को 31 मार्च 2018 तक बढ़ाया जाए जिससे व्यापारी इस स्टॉक को बेच सकें। व्यापारियों पर जीएसटी का एक और संभावित वार
जीएसटी कॉउन्सिल द्वारा यदि एमआरपी लगे हुए माल बेचने की तारीख को यदि 30 सितम्बर से आगे नहीं बढ़ाया गया तो देश में लगभग6 लाख करोड़ रुपये का एमआरपी लगा हुआ जीएसटी से पहले का माल आगे बेचा नहीं जा सकेगा। इस सम्बन्ध में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से आग्रह किया है की वर्तमान हालातों को देखते हुए इस तारीख को 31 मार्च2018 तक आगे बढ़ाया जाए !
जीएसटी लागू करते समय यह प्रावधान किया गया था की 30 जून 2017 को जो भी माल जिस पर एमआरपी लगाना अनिवार्य है, वह माल संशोधित एमआरपी के स्टीकर लगा कर 30 सितम्बर, 2017 तक ही बेचा जा सकेगा। पैकेजिंग कमोडिटी एक्ट के अंतर्गत यह प्रावधान हैकी जो भी माल पैकेज में बेचा जायेगा उस पर अनिवार्य रूप से एमआरपी छपी होनी चाहिए !
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की एक अनुमान के अनुसार अभी भी देश भर में30 जून से पहले का लगभग 9 लाख करोड़ रुपये का माल बाजार में है जिसमें से लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का माल पैकेज में है जिस परप्राय एमआरपी का स्टीकर लगा हुआ है। यदि इस माल को बेचने की अंतिम तारीख 30 सितम्बर से आगे नहीं बढ़ायी जाती है तो 1 अक्टूबर से यह माल बाजार में नहीं बिक सकेगा।
यदि इतनी बड़ी मात्रा में माल सप्लाई चेन से बाहर होता है तो इसका निश्चित रूप से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर विपरीत असर पड़ेगा और दूसरी ओर अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा तथा रोज़मर्रा की वस्तुओं की किल्लत की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे हालातों में कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है की इस तारीख को 31 मार्च 2018 तक बढ़ाया जाए जिससे व्यापारी इस स्टॉक को बेच सकें।