रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ द्वारा लिखी किताब में खुलासा: डोकलाम विवाद का समाधान तय किया गया था

नई दिल्ली
जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में डोकलाम विवाद के समाधान की जमीन तैयार कर ली गई थी। इस बात का खुलासा एक किताब में किया गया है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ नितिन ए. गोखले द्वारा लिखी किताब “सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वे” में इस बात का खुलासा किया गया है कि जी -20 में शी से मोदी की अघोषित मुलाकात में यह तय किया गया था। 16 जून से 7 जुलाई तक चले इस सम्मेलन को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी, वहीं चीनी अधिकारियों ने किसी भी तरह के द्विपक्षीय वार्ता से साफ इनकार किया था।
बता दें कि गोखले की इस किताब का वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को विमोचन किया। किताब के मुताबिक, दोनों नेताओं की संक्षिप्त मुलाकात के दौरान, मोदी ने शी को सुझाव दिया कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी राज्य काउंसलर यांग जीइची को डोकलाम मुद्दे को सुलझाने के प्रयास का नेतृत्व करना चाहिए। मोदी ने कहा था, “हमारे सामरिक संबंध डोकलाम जैसे छोटे सामरिक मुद्दों से काफी बड़े हैं।”
इसके 15 दिनों बाद ही अजीत डोभाल ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने बीजिंग गए। किताब में यह भी कहा गया है कि, इस पूरे डोकलाम मामले में बीजिंग में राजदूत विजय गोखले के नेतृत्व में दोनों पक्षों के बीच करीब 38 बैठकें हुईं। एनएसए डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर की टीम को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कूटनीति और दृढ़ता के सख्त निर्देश दिए गए थे। इसके अलावा सितंबर में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से भी इस मामले को सुलझाने में काफी मदद मिली।
भारत और चीन में से किसी ने भी मामले के हल को लेकर किसी तरह का ब्योरा नहीं दिया। किताब से इस बात का भी पता चलता है कि मई में शुरु होकर अगस्त तक चला यह डोकलाम मुद्दा तीन चरणों में बंट गया था। 16 जून को चीन के नौ वाहन उपरकरण सहित सिक्किम सीमा पर सुबह पहुंच गए थे, वहां उनकी भारतीय सेनाओं से बात हुई। 17 जून से चीनी बुलडोजर्स ने वहां अस्थायी सड़क बनाने का काम शुरु कर दिया जिसका भारतीय सैनिकों ने बार-बार विरोध किया।
इसके बाद भारतीय सैनिकों ने पीएलए को रोकने के लिए एक मानव श्रंखला का निर्माण किया। 20 जून को, नाथू ला में मेजर जनरल और समकक्ष रैंक के अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई। इस दौरान चीन द्वारा सिक्किम में कई बड़ी संख्या में टैंक और बंदूकें तैनात की गईं। भारत ने भी ऐसा ही किया, लेकिन कम सुविधाओं के कारण सेना सीमा के करीब नहीं जा सकती थी। किताब के अनुसार, डोकलाम मामला 14 अगस्त से ठंडा पड़ना शुरु हो गया था और अंतत: 28 अगस्त को यह समाप्त हो गया।

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