लखनऊ। एक के बाद एक वीडियों वायरल होने से यूपी के जेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खुल गई है। रायबरेली जेल के अंदर से ही शातिर अपराधी अंशू दीक्षित ने नियमों को तोड़ते हुए एक और वीडियो वायरल किया है। इस वीडियों में अंशू ने एक दिन पहले जारी वीडियों के लिए उलटे जेल अधिकारियों को ही दोषी ठहराया है। वीडियो में वह कहता दिख रहा है कि पहले वीडियो में जो कुछ देखा गया, वह सब जेल के अफसरों की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता है। यहां हर काम के लिए रिश्वत ली जाती है। इस अपराधी ने एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश और जेल के अन्य कर्मचारियों का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि ये लोग उसकी हत्या की साजिश रच रहे हैं।
वीडियो में अंशू और उसके दो साथी सोहराब खान और डीएस सिंह भी बोल रहे हैं। ये तीनों ही कह रहे हैं कि उन्हें जल्दी ही लखनऊ जेल से शिफ्ट किया गया है जबकि रायबरेली की जेल की बैरक नम्बर 10 में उनके विरोधी लोग बंद हैं। उधर एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश का कहना है कि वायरल हुए वीडियो एक ही दिन के हैं। इस मामले में और पड़ताल की जा रही है।अपराधियों ने वीडियो में कहा है कि जेल में हर काम के लिए वसूली देनी पड़ती है। पहले वीडियो में जो शराब पीते बंदियों को दिखाया जा रहा है, वह वसूली देने के बाद ही मिली है। यहां जो कुछ भी अवैध होता है, वह बिना मिलीभगत के सम्भव नहीं है।पहले वीडियो में छह अपराधी दिख रहे हैं। इनमें अंशू दीक्षित, संदीप सिंह, सोहराब, अजीत चैबे, मिथुन सोनकर और डीएस सिंह है। सातवां अपराधी वीडियो बना रहा है। एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश के मुताबिक संदीप दो नवम्बर को रायबरेली जेल से सुलतानपुर जेल गया था। फिर कोर्ट के आदेश पर वहीं रोक दिया गया। इसी तरह सीरियल किलर सोहराब पेशी पर दिल्ली गया और 10 नवम्बर से वह तिहाड़ जेल में ही बंद है। इससे साफ है कि यह वीडियो दो नवम्बर से पहले का बनाया गया है। कई हत्याओं का आरोपी अंशू दीक्षित का पहला वीडियो जेल से दो दिन पहले वायरल हुआ था। इसके बाद ही प्रमुख सचिव गृह ने सख्त कार्रवाई करते हुए रायबरेली के जेल अधीक्षक समेत छह लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी। अब एक और वीडियो वायरल होने पर कुछ बंदी रक्षकों पर भी कार्रवाई होने की बात कही जा रही है।