निचलौल में फर्जी दस्तावेज लगाकर भूमि बैनामा करने के मामले में छह पर केस


रतन गुप्ता उप संपादक

महराजगंज के निचलौल थाना क्षेत्र के लेदी गांव स्थित भूमि को भू-माफिया ने फर्जी दस्तावेज लगाकर बैनामा करा लिया था। अमर उजाला अखबार ने पीड़ित की शिकायत पर एक फरवरी के अंक में फर्जी दस्तावेज लगाकर 2.62 करोड़ की जमीन को 22 लाख रुपये में बेच दी शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उसके बाद जिम्मेदार मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच पड़ताल कराने में जुट गए। बुधवार को पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने छह आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।

लेदी निवासी अनिरुद्ध मिश्र ने क्षेत्राधिकारी को तहरीर देकर बताया कि, गांव लेदी रामचंद्रही स्थित भूमि उनके नाम से है। इतना ही नहीं भूमि पर वह काबिज होने के साथ ही खुद मालिक भी हैं। उक्त भूमि का प्रकरण उपजिलाधिकारी निचलौल न्यायालय में लंबित है। सात दिसंबर 2023 को कुछ भू-माफियाओं ने फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर उक्त भूमि को बैनामा करा लिया। इतना ही नहीं भू-माफियाओं ने बैनामा लेखक की मदद से गवाही में लगे व्यक्तियों की फर्जी दस्तावेज का प्रयोग कर सरकारी कार्यालय में जमा करा दिया। हद तो तब हो गई, जब जालसाजों ने फर्जी आधार का प्रयोग करके मृत रायचंद के स्थान पर दीनदयाल को खड़ा कर फर्जी बैनामा करा लिया।

संबंध में थाना प्रभारी निरीक्षक सत्यप्रकाश सिंह से मिली जानकारी के मुताबिक पीड़ित अनिरुद्ध मिश्र की तहरीर के आधार पर आरोपी प्रसिद्ध नारायण दूबे निवासी दुबौली मातहनपार गोरखपुर, दीनदयाल वार्ड संख्या 27-134 गोपालपुरा सुजानगढ़ चुरू, राजस्थान, लोकनाथ निवासी अम्मरपुर, बासगांव गोरखपुर, पुरुषत्तोम राय निवासी डडवा चतुर, गोरखपुर, संजय सिंधी निवासी सी 151 रामप्रस्थ कालोनी, गाजियाबाद, चंद्रशेखर पांडेय निवासी निचलौल के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी सहित अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

2.62 करोड़ की लागत की थी जमीन
पीड़ित ने बताया कि भू-माफियाओं ने उनकी ननौ एकड़ भूमि को महज 22 लाख रुपये में फर्जी दस्तावेज लगाकर बेच दी है। उक्त भूमि की कीमत करीब 2.62 करोड़ रुपये है। घटना की जानकारी मिली तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई थी। इतना ही बैनामा लेखक ने फर्जी दस्तावेज को नजर अंदाज करते हुए दस्तावेज में गवाहों को जानने और पहचाने से इंकार भी किया है।


बैनामे में यह जानकारी रखना होती है जरूरत
तहसील के वरिष्ठ अधिवक्ता सरजू कुमार पांडेय ने कहा कि बैनामा बिक्री की पुष्टि करता है, और साथ ही विक्रेता से खरीदार को संपत्ति के मालिकाना हक को ट्रांसफर करता है। बैनामा के रजिस्ट्रेशन के साथ ही प्रॉपर्टी खरीदने का प्रक्रिया खत्म हो जाता है। बैनामे में क्रेता-विक्रेता की पूरी जानकारी, संबंधित जमीन की डिटेल्स, गवाहों की जानकारी, स्टांप, नक्शा जैसी डिटेल्स शामिल होनी चाहिए। अगर यह सब बगैर जानकारी के जिम्मेदारों की ओर से बैनामा की जाती है। तो यह बहुत बड़ी लापरवाही मानी जाएगी।


निचलौल तहसील में पहले भी आया था फर्जी बैनामा का मामला
जानकारी के मुताबिक निचलौल तहसील में फर्जी भूमि बैनामा का प्रकरण यह कोई नहीं मामला नहीं है। क्योंकि इसके पहले भी फर्जी तरीके से भूमि बैनामे का मामला सामने आ चुका है।

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