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राज्यसभा चुनावः अमित शाह – शंकरसिंह बापु पर अहमद पटेल भारी

जैमिन शुक्ल

गुजरात में राज्य सभा चुनाव एक हाई वोल्टेज ड्रामा कि तरह रहा। अहमद पटेल पीछले 24 सालों से राज्य सभा के सांसद रहे है। उनके पास बेसुमार अनुभव था। चार बार राज्यसभा में जाने के बाद यह उनकि पांचवी टर्म थी। अहमद पटेल को कोंग्रेस का चाणक्य भी कहा जाता है। उसके सामने भाजपा के चाणक्य अमित शाह थे। अमित शाह के लिए राज्य सभा के चुनाव पहला अनुभव था। पहली बार राज्यसभा में जा रहे है। शंकरसिंह वाघेला एक अति अनुभवी नेता है। उनके पास भी अहमद पटेल जैसा बेसुमार अनुभव है। मगर कहते है विनाश काले विपरित बुद्धि। शंकरसिंह बापु राजनीति छोड उनके संमधि को राजनीति में उठाने में लगे थे। और अब शंकरसिंह बापु ना भाजपा के लिए काम के नेता है, ना कोंग्रेस के लिए कोई काम के रहे है।

शंकरसिंह बापु पहले हि कह चुके थे कि वह अब चुनाव नही लडेंगे। मगर अब एसी हालत हुई है कि शंकरसिंह बापु को समर्थन करने वाले दुसरे 13 विधायको के लिए भी राजनैतिक कारकिर्दी खतम होने के कगार पर है। जीन विधायको ने पहले ही विधायक पद से बापु के कहने पर आके विधायक पद से इस्तिफे दिये वैसे 6 विधायक अब ना तो कोंग्रेस के लिए काम के रहें है, ना ही भाजपा के लिए काम के रहे है। यह 6 विधायक अगर 2017 विधानसभा चुनाव लडते भी है तो उनके जीतने कि संभावना पर एक प्रश्नार्थ चिन्ह लगा हुआ है। यह 6 विधायक भाजपा में चले जाएंगे मगर जीतने के लिए उनको और ज्यादा मेहनत करनी होंगी। वरना 2017 का चुनाव उनके राजनैतिक कारकिर्दी का आखरी चुनाव हो सकता है।

बापु के समर्थन में आकर जिन्होने कोंग्रेस के व्हीप का उल्लंघन किया वैसे दुसरे 7 कोंग्रेसी विधायक है। यह 7 विधायकों को कोंग्रेस पार्टी से निष्कासित किया जाएगा। ईन पर अगर केस चला तो संभावना यह भी देखी जा रही है कि यह 7 विधायक 6 साल तक चुनाव नही लड सकते। अगर ईनको भाजपा में सामेल कर भी दिया जाए तो भी चुनाच जीतने पर ही राजकिय कारकिर्दी बच सकती है। अगर चुनाव लड ही नही सकते तो चुनाव जीतने का सवाल ही नही रहता। अगर चुनाव लडे तो जीते या हारे। मगर जीतने कि संभावनाओ के बीच हारने कि संभावना ज्यादा हो गई है। ईन विधायको को फिर से आम जनता के बाच जाके आम लोगो का विश्वास संपादित करना होंगा। वरना ईन सभी विधायको कि राजनैतिक कारकिर्दी दाव पर है। कुल एसे विधायक हो गए 12 और शंकरसिंह बापु समेत 13 विधायक। मगर शंकरसिंह बापु चुनाव नही लडने कि घोषणा कर चुके है। एक मीडिया रीपोर्ट के अनुसार अब एक ही एसे विधायक है जो जनता का विश्वास संपादित करने में सक्षम है। और वह है शंकरसिंह बापु के पुत्र महेन्द्र सिंह वाघेला। महेन्द्र वाघेला के अलावा एक भी बापु समर्थित विधायक मीडिया रीपोर्ट के अनुसार एसे नही है जो 2017 विधानसभा चुनाव में कुछ कारनामा कर सके।

शंकरसिंह बापु हंमेशा कोंग्रेस को कहते थे। विनाश काले विपरित बुद्धि। मगर आज बापु एसे चौराहे पे खडे है जहाँ से आगे कहा जाए वह खुद बापु भी नही जानते। उनके पास एक ही रास्ता है। वह सीर्फ और सीर्फ भाजपा के शरण में जा सकते है। मगर भाजपा में अब उनको वह सम्मान मीलेंगा। भाजपा आज नरेन्द्र मोदी और अमित शाह कि भाजपा है। आज बापु कि 1995 वाली भाजपा नही है कि बापु के सामने भाजपा वाले झुक जाएगे। आज कि भाजपा के लिए बापु का कोई महत्व नही है। ईस हाल में बापु ने अपने ही पैर पे कुल्हाडी मारी हो एसा लगता है। बापु ने खुद के पैर पे तो कुल्हाडी मारी ही है। मगर दुसरे 12 विधायको कि गरदन भी काट दी है। जो बापु के समर्थन में थे। वह सभी विधायको के लिए आज अपना दुखडा किसे सुनाए एसी परिस्थिति का निर्माण हुआ है। ना वह कोंग्रेस के रहे है, ना भाजपा में उनको सम्मान मीलने कि संभावना है।

गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव से हम ईतना जरुर कह सकते है कि अहमद पटेल वाकई में कोंग्रेस के चाणक्य है। अमित शाह का अनुभव आज भी अहमद पटेल के सामने कम है। और शंकर सिंह बापु तु तो सभी कि सेहद के लिए हानिकारक है…. विनाश काले….

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