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लखनऊ की लचर चिकित्सा व्यवस्था ने एक और पत्रकार को लीला, एम्बुलेंस के इंतेजार में मर गये अमृत दुबे

लखनऊ। कोरोना महामारी के बीच उत्तर प्रदेश की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था ‘दाद में खाज’ वाली कहावत को चरिचार्थ कर रही है। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। इंडिया टुडे के कोरोना संक्रमित पत्रकार नीलांशु शुक्ला की मौत के कुछ ही घण्टे बाद इस महामारी ने एक और पत्रकार की जान ले ली। लखनऊ निवासी पीटीआई के पत्रकार अमृत दुबे कवरेज के दौरान कोरोना की चपेट में आ गए थे। वह होम आइसोलेशन में थे। बुधवार सुबह पत्रकार अमृत दुबे की हालत अचानक बिगड़ गई। एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन कई घण्टे के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। अमृत दुबे की हालत बिगड़ने की खबर सोशल मीडिया पर फैली तो राजधानी के मीडियाकर्मियों में हड़कंप मच गया। पत्रकारों ने जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश को मामले की जानकारी देकर तत्काल एंबुलेंस की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया। हालांकि एंबुलेंस पहुंचते -पहुंचते काफी देर हो चुकी थी। एंबुलेंस का इंतजार करते करते पत्रकार अमृत दुबे की सांसें उखड़ने लगीं और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गयी।

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