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नेपाल सीमा पर बांस का बना अस्थायी पुल, तस्करों के लिए मुफीद


रतन गुप्ता उप सम्पादक

नौतनवा के दो मुहान घाट के पास नेपाल की तिनाऊ व भारतीय डंडा नदी पर बना है बांस का पुल, दिन भर हो रही है तस्करी एस एस बी कैम्प के बगल में है यह पुल

जम कर हो रही है तस्करी ,तस्कर उठा रहे हैं लाभ, सुरक्षा एजेंसियां बेखबर——-

नेपाल सीमा पर एक अस्थायी बांस का पुल बनाया गया है, लेकिन यह इन दिनों तस्कराें के लिए यह मुफीद साबित हो रहा है। यह बांस का पुल दो मुहाना घाट के पास नेपाल की तिनाऊ व भारतीय डंडा नदी पर बना है। जरूरत के अनुसार तस्कर सामान नेपाल से सामान लेकर भारतीय क्षेत्र में चले आते हैं। बताया जा रहा है कि तीन चार दिन पहले यह अस्थाई पुल बना है, इसका लाभ तस्कर उठा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, दो मुहान घाट पर अस्थायी बांस का पुल बनाकर भारत नेपाल के रिश्तों में मिठास घुलने की कोशिश की जा रही है। इसका फायदा तस्कर उठा रहे हैं। नौतनवा तहसील क्षेत्र के आराजी सरकार उर्फ बैरिहवा गांव के पास डंडा नदी और तिनाऊ नदी आकर मिली है, जो दोमुहान घाट के नाम से जानी जाती है। यहां कई वर्ष पहले अस्थाई बांस का पुल रहता था, लेकिन एसएसबी ने सुरक्षा की दृष्टि से पिछले वर्ष इसे हटवा दिया था।

इधर चार दिन पहले फिर से बांस का पुल बना दिया गया है। सूत्रों की मानें तो तस्कर इस पुल का प्रयोग तस्करी के लिए आसानी से कर रहे हैं। नेपाल से जरूरत की सामग्री लेकर सरहद पार आसानी से हो रहे हैं, इस रास्ते ज्यादा निगरानी नहीं रहती है। तिनाऊ नदी नो-मैंस लैंड के किनारे दोनों देशों का सीमांकन करती है। भारत नेपाल की सीमा पर नदी होने के कारण नेपाल से लोगों को और भारत से लोगों को नेपाल जाने में दिक्कतें होती हैं।
अस्थायी पुल बनने से तस्कर समेत आम लोगों को भी फायदा हो रहा है। अधिकारियों के अनुसार यह अस्थायी बांस का पुल बनने से नेपाल व भारत के लोगों को आने-जाने व रिश्तेदार में भी आने जाने में सहूलियत होगी। चूंकि अभी तिनाऊ में पानी है लोगों को पानी से होकर जाना पड़ता था। दोमुहान घाट पर छठ पर्व पर बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह घाट तो भारत में है लेकिन दोमुहान घाट होने के नाते नेपाल के बगौली, पिपरहवा, भिलरहवा आदि लोग के छठ व्रत धारी यहां पर नजदीक होने के कारण यही पर आकर पूजा पाठ करते हैं।

  • नेपाल के इन गांवों के लोग इस रास्ते से आते हैं
    — नेपाल के गांव पिपरहवा, बगौली, ओड़वलिया, सिलौटिया, ठरकी, हरदी, भिलरहवा आदि गांव के लोगों के लिए यह पुल काफी फायदेमंद है। गांव के हनुमान त्रिपाठी, संजय पांडेय , राजकुमार शुक्ल, पिंटू, कृष्ण मोहन शुक्ला, अरविंद कुमार ने बताया कि तिनाऊ नदी दोमुहान घाट पर अस्थाई बांस का पुल बनने से लोगों में खुशी है। लोगों ने कहा कि पहले पानी में घुसकर जाना पड़ता था, दुर्घटना होने की संभावना रहती थी या तो चार किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता था, लेकिन अब बांस का पुल बनने से बहुत ही आसानी हो गई है।

  • भारत के लोग अधिकांश इस रास्ते आते जाते रहते हैं
  • नौतनवां, आराजी सरकार उर्फ बैरिहवा, सुंडी, हरदीडाली, बरगदवा उर्फ गनवरिया, महुअवा, सुकरौली उर्फ अरघा आदि गांव के लोग भी समय-समय आते जाते रहते हैं।

सुरक्षा व्यवस्था निगरानी में अस्थायी बांस का पुल बनाने की अनुमति दी गई है जिससे दोनों देश के लोग छठ पर्व को मना सकें। पर्व के बाद इस पुल को हटवा दिया जाएगा। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विशेष निगरानी की जा रही है। पगडंडियों से लेकर प्रमुख रास्तों पर सख्त पहरा है।
-वरुण कुमार, कार्यवाहक कमांडेंट, एसएसबी 66वीं वाहिनी

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