अन्याय के विरूद्ध संघर्ष, समाज के उत्थान में सहयोग देने वाला ही क्षत्रिय- वृजभूषण शरण सिंह

बस्ती। क्षत्रिय का धर्म है कि वह अनीति, अत्याचार के विरूद्ध निरन्तर संघर्ष करते हुये समाज के उत्थान में योगदान करें। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम, महाराणा प्रताप से लेकर वर्तमान तक क्षत्रियों के त्याग की लम्बी परम्परा रही है। जन्म से क्षत्रिय होना सामान्य बात है किन्तु कर्म से क्षत्रिय होने के लिये कड़ी तपस्या और संघर्ष करना होगा। यह विचार सांसद वृजभूषण शरण सिंह ने व्यक्त किया। वे रविवार को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा द्वारा आयोजित क्षत्रिय सम्मेलन एवं युवा मंच के उद्घाटन अवसर पर आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
कहा कि आज जब समाज में चौतरफा विषमता, अशिक्षा की चुनौतियां है, क्षत्रिय समाज का धर्म है कि वह सामाजिक समरसता के लिये योगदान करें।
राज्य महिला आयोग सदस्य श्रीमती इन्द्रवास सिंह ने कहा कि महिलाओं पर जुल्म, अत्याचार बंद हो इसके लिये सबको जागरूक होना होगा। विशिष्ट अतिथि सुप्रिया सिंह राठौर ने कहा कि महिलाओं को सम्मान देने की शुरूआत हमें अपने घरों से करनी होगी। महिलाओं को उनका अधिकार मिलना ही चाहिये।
सम्मेलन को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. एच.वी. सिंह, प्रदेश प्रभारी प्रीत सिंह, कुशमेश विक्रम सिंह, सुरेन्द्र प्रताप पाल जिलाध्यक्ष जय सिंह चौहान, युवा जिलाध्यक्ष अभिजीत सिंह आदि ने  सम्बोधित करते हुये एकजुटता और समन्वय पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुये बाबूराम सिंह एडवोकेट ने अनेक सन्दर्भो पर विस्तार से चर्चा करते हुये कहा कि क्षत्रिय धर्म का निर्वहन तपस्या है। अध्यक्षता करते हुये प्रधानाचार्य परिषद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. रामनरेश सिंह मंजुल ने अनेक साहित्यिक, सामाजिक सन्दर्भो का उल्लेख करते हुये कहा कि जिसके भीतर करूणा, अन्याय के विरूद्ध संघर्ष का नैतिक बल हो वही क्षत्रिय है।  
कार्यक्रम के दूसरे चरण मंें सांसद वृजभूषण शरण सिंह ने युवा शाखा के      अध्यक्ष अभिजीत सिंह, उपाध्यक्ष अविनाश सिंह, मोनू सिंह राजपूत, यादवेन्द्र प्रताप सिंह, महामंत्री नगेन्द्र पाल, प्रभाकर विक्रम, रूद्र प्रताप सिंह कोषाध्यक्ष, सौर्य प्रताप सिंह मीडिया प्रभारी आदि को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया।
इसके पूर्व मंचासीन पदाधिकारियों, अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। सम्मेलन में जिला संयोजक महेन्द्र प्रताप सिंह, सन्तोष सिंह, चन्द्रेश प्रताप सिंह, पंकज सिंह,  सुनील सिंह, अतुल कुमार सिंह, महेश सिंह, अमित सिंह, आसमान सिंह, अरविन्द सिंह, मार्कण्डेय सिंह, अशोक सिंह, नीरज सिंह बघेल, विश्वजीत पाल, समर बहादुर सिंह, पंकज सिंह,  अवनीश सिंह, सत्येन्द्र सिंह ‘भोलू’ के.के. सिंह, डा. आर.पी. सिंह, मोहित सिंह, अभय प्रताप सिंह, करूणा सिंह, आशा सिंह, सुरेन्द्र पाल, अमित सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में क्षत्रिय समाज के लोग मौजूद रहे

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