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गोरक्षा को सांप्रदायिकता और हिंसा से नहीं जोड़ना चाहिए: मोहन भागवत

नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार की जमकर तारीफ तो की लेकिन राष्ट्रवादी नीतियों पर। संघ प्रमुख ने अपने एक घंटे से ज्यादा की स्पीच में जहां मोदी सरकार की राष्ट्रवादी नीतियों का जिक्र करते हुए जमकर सराहना की, वहीं आर्थिक नीतियों पर संदेह जताया। साथ ही सरकार को आर्थिक नीतियों पर फिर से विचार करने की सलाह भी दे डाली। संघ के स्थापना दिवस पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने सबसे पहले मुंबई हादसे का जिक्र किया और संवेदना व्यक्त की।
कश्मीर को लेकर भी भागवत ने मोदी सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा कि सरकार ने मजबूती के साथ अलगाववादियों और उग्रवादियों का बंदोबस्त किया है। पुलिस और सेना को काम करने की पूरी छूट देकर राष्ट्रविरोधी ताकतों को मिलने वाली ताकत का रास्ता बंद किया है। उन्होंने पिछली सरकारों पर निशाना भी साधा और कहा कि जम्मू-लद्दाख के साथ अबतक सौतेला बर्ताव हुआ है। साथ ही सरकार को नसीहत भी दी कि कश्मीर में विकास के लिए चुस्ती दिखाए। विस्थापितों की दिक्कतों का जिक्र करते हुए उन्होंने कश्मीरी पंडितों की दिक्कतों को भी बयां किया। साथ ही कहा कि अलगाववादियों और उग्रवादियों पर कड़ाई जारी रखते हुए ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को आत्मीयता का अनुभव हो। इसके लिए अगर नए प्रावधान बनाने पड़े या पुराने प्रावधान हटाने पड़े तो वह करना चाहिए। यह जरूरी है कि भारत के साथ कश्मीर की जनता का आत्मीकरण हो।
नए और पुराने प्रावधान की बात करना भागवत का धारा 370 की तरफ इशारा है। धारा-370 हटाना बीजेपी और संघ का प्रमुख अजेंडा रहा है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनाने के बाद से बीजेपी इस मसले पर ज्यादा कुछ नहीं बोल रही है। संघ परिवार के कई संगठन इसके लिए लगातार दबाव बना रहे हैं और भागवत का यह कहना संघ के लोगों की भावना का इजहार करना है।
भागवत ने कहा कि बांग्लादेशी अवैध घुसपैठियों की समस्या अभी पूरी तरह निपटी भी नहीं कि म्यांमार से खदेड़े गए रोहिंग्या आ गए। अगर उन्हें आश्रय दिया तो वह हमारे रोजगार पर तो भार डालेंगे ही साथ ही देश की सुरक्षा के लिए भी संकट बनेंगे। उनका इस देश से नाता क्या है। मानवता की बात ठीक है पर उसके अधीन होकर अपने मानवत्व को समाप्त करे यह ठीक नहीं। भागवत ने सीमा पर तैनात सैनिकों को ज्यादा सुविधा देने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि उनके खाने पीने और सुविधा का ध्यान रखना होगा।
रोहिंग्या पर संघ शुरू से ही मोदी सरकार के कदम के साथ है। भागवत का यह कहना सरकार को मजबूती देने के लिए है। एक सैनिक का खराब खाने की शिकायत का विडियो आने के बाद मोदी सरकार पर यह सवाल उठने लगे थे कि देशभक्ति की बात करने वाली सरकार सैनिकों को सही से खाना तक नहीं दे सकती। भागवत ने यह दिखाने की कोशिश की कि संघ लोगों की इस भावना के साथ है और साथ ही सरकार को नसीहत भी दे डाली कि वह इस तरह के मसले पर ज्यादा ध्यान दें।
जहां राष्ट्रवादी नीतियों पर भागवत ने मोदी सरकार को पूरा समर्थन दिया वहीं आर्थिक नीतियों पर सवाल भी खड़े कर दिए। मोदी सरकार की कई योजनाओं का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने और आर्थिक प्रगति के लिए कई योजनाएं चली। कई साहसपूर्ण फैसले भी लिए। लेकिन यह देखना होगा कि अर्थनीति से सबका भला हो रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया की घिसी-पिटी अर्थनीति की बजाय अपनी नीति बनानी चाहिए। साथ ही कहा कि मध्यम, लघु, कुटीर उद्योग, खुदरा व्यापारी, स्वरोजगार, कृषि और इनफॉर्मल इकॉनमी की वजह से ही हम आर्थिक भूचालों में सुरक्षित रहे। इसलिए आर्थिक सुधार करते वक्त यह ध्यान रखना होगा कि यह सुरक्षित रहें। उन्होंने कृषि का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी नई तकनीक लाने से पहले उसके परिणाम सोचने चाहिए। जो तकनीक दूसरे देश अपने वहां तो बंद कर रहे हैं लेकिन भारत में बेच रहे हैं उनसे सावधान रहने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि किसानों के बच्चें खेती नहीं करना चाहते क्योंकि गांवों में उन्हें सुविधा नहीं मिल रही है। सरकार से इस तरफ भी ध्यान देने की बात कही।
नोटबंदी और फिर जीएसटी के बाद सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं। कई छोटे और मझोले व्यापारियों ने विरोध जताया। संघ परिवार के संगठनों ने भी इन व्यापारियों के समर्थन में सरकार का विरोध किया। नाराजगी इस बात को लेकर है कि लोगों के रोजगार छिने हैं और व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है, साथ ही दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। बीजेपी के अंदर से भी आर्थिक नीतियों को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। संघ की हाल ही में हुई एक उच्च स्तरीय मीटिंग में भी नोटबंदी और जीएसटी को लेकर लोगों में सरकार के खिलाफ असंतोष की बात सामने आई। भागवत ने यह कहकर मोदी सरकार को नसीहत दी है कि वह आर्थिक नीतियों में इस बात का ख्याल रखे। स्वदेशी जागरण मंच बीटी को लेकर विरोध कर रहा है। सरकार से लगातार यह कह रहा है कि विदेशियों के दबाव में न आएं। भागवत ने उनकी चिंता से खुद को जोड़ा। संघ की तरफ से पहली बार इस तरह आर्थिक मोर्चे पर सरकार को नीतियां सुधारने की नसीहत दी गई है। साथ ही किसानों की तरफ ज्यादा ध्यान देने की सलाह भी संघ ने दी, क्योंकि सरकार किसानों और आर्थिक मसलों पर ही विपक्ष के निशाने पर है।
भागवत ने कहा कि कहीं गाय के नाम पर कुछ हिंसा हो जाती है तो उसका संबंध गोरक्षकों से जोड़ना गलत है। गाय की रक्षा करने वालों की भी हत्या हुई है। यूपी में सिर्फ बजरंगदल के लोग ही नहीं बल्कि मुस्लिम गोरक्षक भी शहीद हुए हैं। गोरक्षा को सांप्रदायिकता और हिंसा से नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब शासन में ऊंचे पदों पर बैठे लोग कुछ कहते हैं तो शब्दों का आधार लेकर उसे बिगाड़ा जाता है। इसकी चिंता गोरक्षकों को नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उनके लिए नहीं है। गोरक्षक कानून का पालन करते हैं और उसकी निगरानी भी करते हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि आजकल विजिलांटे शब्द को गाली जैसा बना दिया और गाय शब्द का उच्चारण करने वाले पर यह शब्द चिपका देते हैं। संविधान बनाने वाले मार्गदर्शन देने वाले वे भी विजिलांटे थे क्या। ऊंचे पदों पर बैठे लोग और सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा उसकी चिंता वह लोग करेंगे जो लोग गुनहगार होंगे। गोरक्षकों को उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।
पीएम मोदी कई मौकों पर गोरक्षकों की हिंसा के खिलाफ अपना गुस्सा जता चुके हैं और राज्य सरकारों से गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा से सख्ती से निपटने का निर्देश दे चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में निर्देश दिए कि हर राज्य में गोरक्षा के नाम पर हिंसा रोकने के लिए हर जिले में नोडल अफसर तैनात किए जाएं। ये सुनिश्चित करें कि कोई भी विजिलेंटिजम ग्रुप कानून को अपने हाथ में ना लें। इसके बाद संघ के संगठनों की तरफ से नाराजगी भी जताई जा रही थी कि गोरक्षकों को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। भागवत का यह कहना संदेश है कि वह गोरक्षक के साथ खड़े हैं।
भागवत ने कहा कि हम 70 साल से आजाद हैं लेकिन पहली बार दुनिया को और हमको थोड़ा-थोड़ा अनुभव हो रहा है कि भारत है और उठ रहा है। भारत की अंतरराष्ट्रीय जगह में प्रतिष्ठा बढ़ी है। डोकलाम में धैर्यतापूर्वक और संयम के साथ अपना गौरव न खोते हुए जिस तरह डील किया उससे हमारी प्रतिष्ठा बढ़ी। अब दुनिया भारत को गंभीरता से ले रही है और भारत में दखल देने से पहले 10 बार सोचती है। आर्थिक विकास की दिशा में भारत तेजी से बढ़ा है, गति मंद हो रही है लेकिन ठीक हो जाएगी।
जानकार इसे मोदी सरकार की विदेश नीति को संघ के पूरे समर्थन के तौर पर देख रहे हैं। विपक्ष मोदी सरकार पर विदेश नीति को लेकर आरोप लगाते रहा है। संघ प्रमुख का यह बयान एक तरीके से उनका जवाब भी है।

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