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नेपाल की एक मिडिया ने पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के नेपाल आगमन की आलोचना की और अतिवादी और विभाजनकारी बताया लेकिन नेपाल मे हिन्दूओ मे उत्साह

रिपोर्टर रतन गुप्ता सोनौली /नेपाल

भारत के प्रसिद्ध वागेश्वर धाम पीठाधीशवर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री भारत से ने 19, 20, 21, अग्रस्त को नेपाल मे रामकथा सुनाने जा रहे है । नेपाल के उद्दोगपति ,वरुण चौधरी के आमंत्रण पर नेपाल जा रहे है । और नेपाल के हिन्दू समाज के लोगो मे काफी उत्साह है । शास्त्री जी की सुरक्षा नेपाल ,पुलिस और सेना के अधिकारीओ के जिमे रहे गा ।

भारत से नेपाल भारी संख्या मे हिन्दू समाज के लोग जाये गे सोनौली बाडर से 35 किलो मीटर हो रहे है कार्यक्रम भैरहवा एयरपोर्ट से बुटवल तक कडी सुरक्षा के इन्तजाम नेपाल मे किये गये ।

अब आप को नेपाल की स्तिथ और अब नेपाल मे चल क्या रहा है आप को बताना चाहे गे । 81% प्रतिशत जनसंख्या के द्वारा स्वीकार्य धर्म या पंथ को अतिवाद बोलना या लिखना ही अपने आप में अतिवाद है!
किन्तु आश्चर्य नहीं है क्यूँकि इनदिनों नेपाल में जिस तरह धर्मान्तरण का खेल पूरी लय में चल रहा है तो यह समझना भी आसान है की इसमें बड़े से बड़े राजनीतिक, व्यावसायिक, व्यापारिक, अधिकरवादी और मीडिया घरानों की संलग्नता निश्चित रूप से उपस्थित है!
जिस देशमें धर्मनिरपेक्षता के लिए कोई आवाज ही ना उठाई गई हो, जहाँ सर्वधर्मसापेक्ष हिंदूवादी जीवन प्रणाली में लोग आनंदपूर्वक जीवन बसर कर रहे हों उस देश को धर्मनिरपेक्ष घोषणा होना ही धार्मिक अतिवाद लादने जैसा है और संदेहास्पद भी!
नेपाल के अंदर धार्मिक सहिस्नुता जितनी वि. सं.२०६४ से पहले थी उतनी आज नहीं है!
धार्मिक रूपसे देश जितना पहले शान्त और सहिस्नु था उतना आज नहीं है!
बड़े पैमाने पर धर्मान्तरण का जाल फैल चूका है!दिन ब दिन नेपाल के भितर धार्मिक द्वन्द और विवाद की परिस्थितियां बनती जा रही हैं!
क्रिस्चियन और इस्लामिक देशों के द्वारा नेपाल के मूल धार्मिक स्वरुप जो हिन्दू है और अभी भी अभी भी 81% प्रतिशत से अधिक है,उसको दुष्प्रभावित करने का षड़यंत्र तीव्रता से जारी है!
नेपाल में अवसरवादियों का एक बड़ा समूह इस षड़यंत्र और षड़यंत्रकारियों का बखूबी सहयोग भी कर रहा है!
आश्चर्य की बात तो यह भी है की जो सनातन और हिन्दुत्त्व के संरक्षण और संवर्धन को अतिवाद बताते हैं वो भी खुदको हिन्दू ही बताते हैं!
जमीनी सतह पर जहाँ जातपात और छुआछुत को मुद्दा बनाकर लोगों को बड़गलाया जा रहा है और निःशुल्क उपचार तथा धन का प्रलोभन देकर धर्मान्तरण करवाया जा रहा है तो दूसरी तरफ बड़ी संख्या में चर्चो का निर्माण भी कराया जा रहा है!
क्रिस्चियन, ताओस्म, इस्लाम, निओ बुद्धिज़्म, परमपिता परमेश्वर तो रामपालका कबीर पंथ इनदिनों नेपाल के बहुसंख्यक हिन्दुओं का तेजी से या तो धर्मान्तरण करवा रहे हैं या फिर पथभ्रष्ट बना रहे हैं!
इनका उद्देश्य केवल एक ही नेपाल में हिन्दुत्व को समाप्त करना!अतः हिन्दुओं को सतर्क रहने और नेपाल के अस्तित्व और स्वाभिमान को कायम रखने की भी आवश्यकता है!

ज्ञात रहे की नेपाल में धर्मान्तरण करवाना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है!———————————
और किसी को छल पूर्वक या आर्थिक प्रलोभन देकर धर्मान्तरण भी अपराध ही माना जा सकता है!
इन सभी परिस्थितियों की जानकरी नेपाल सरकार और मीडिया सभी को है ! किन्तु नेपाल सरकार धर्मनिरपेक्षता का खोल ओढ़कर इस षड़यंत्र को देख रही है तो कुछ मीडिया इस षड़यंत्र का सहायक ही दिखाई पड़ता है!
न जाने कीसके प्रभाव में पड़कर नेपाल में इन दिनों कुछ मीडिया हिन्दूत्व के विरुद्ध मोर्चा खोलकर ही काम करते हुए दिखाई देने लगे हैं!
इनदिनों हिन्दू धर्मगुरु “धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री” के नेपाल आगमन की खबरों से हिन्दुओं में उत्साह का माहौल बना हुआ है!
इसी बिच नेपाल के प्रशिद्ध अख़बार ने उनके नेपाल आगमन की आलोचना की है और धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को अतिवादी और विभाजनकारी बताया है!
किसी धर्मगुरु या कथावाचक के खिलाफ इतना विषबमन करना निश्चितरूपसे उक्त संचारगृह के स्वतंत्रता और निष्ठा पर प्रश्न खड़ा करता है !
भारतीय कथावाचक शास्त्री के खिलाफ लम्बी लेख लिखनेवाले अख़बार ने कभी भी बढ़ते हुए चर्चो की संख्या, उग्र हो रहे इस्लामिक गतिविधियों और तीव्र वेग में बढ़ रहे धर्मान्तरण के प्रयासों के ऊपर कोई समय सापेक्ष प्रतिक्रिया अथवा आलेख नहीं लिखा है!
इसी से उक्त अखवार की हिन्दुओं के प्रति का पूर्वाग्रह और हिन्दू विरोधियों के प्रति निष्ठा प्रदर्शित होती है!
विश्व ने नेपाल को केवल तीन कारणों से पहचाना है, पहला हिन्दुत्व दूसरा हिमालय और तीसरा बुद्ध और ये तीनों ही हिन्दू और हिन्दुत्त्व के दायरे में आते हैं!
हिन्दुत्त्व से नेपाल का गौरव और इतिहास प्रदर्शित होता है!
जिस इतिहास और गौरव को कुछ बाह्य शक्तियां एवं भीतर के जयचंदों के द्वारा समाप्त करने का ख़तरनाक षड़यंत्र चल रहा है!
स्वाभिमानी नेपालीयों को इन षड़यंन्त्रों और परिस्थितियों के प्रति सतर्क रहना होगा!
संविधान के सम्मान के साथ साथ गौरवशाली इतिहास के प्रति भी सम्मान कायम रखना होगा!
षड़यंत्रकारियों और अंतरघातियों को जवाब भी देना होगा और नेपाल को नेपाल रहने के लिए हिन्दुओं को बहुसंख्यक रहना होगा ! सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षार्थ कथा, प्रवचन यज्ञ इत्यादि सांस्कृतिक पारम्परिक कार्यक्रमों का समर्थन और सहयोग करना होगा! नेपाल को अपने हिन्दू धरोहर को बताने की जरुरत है ।
अतिथि देवो भवः का सिद्धांत माननेवाले नेपालीयों को साधु संतों का सम्मान भी करना होगा ।

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